Tuesday, September 28, 2010

दिल, तुम और ऑफिस

तुमसे ही हैं मेरी यादें ,
फिर ये दिल तुम्हे क्यूँ याद करता है |
तुम्हारी हर एक झलक के लिए ,
हर बार नए तरीके इजाद करता है |
और न जाने कितने घंटे , इसी
चक्कर में रोज़ बरबाद करता है |
तुम्हें इसकी खबर न लगे, कि
चुपके से कोई तुम्हारा दीदार करता है |
यह पगला लोगों के सामने, तुम्हें
पहचानने से भी इनकार करता है ||


तुम्हें तो ऑफिस के काम से काम है,
बाकी सबी कामों से इनकार है |
तुम सोचती हो केवल तुम्ही,
इस ऑफिस कि स्टार हो |
पर तुम्हें सच्चाई का है नहीं पता ,
इस दिल के लिए भी बहार लगी लम्बी कतार है |
दिल को है पसंद तेरी कुछ अदाएं ,
जिनका होके रह गया ये शिकार है |
तुम सोचती हो ये बेकार है ,
पर इसके लिए यही सच्चा प्यार है ||

समर्पित : गो आई बी बो (http://goibibo.ibibo.com/)